ताइवान में इसे लेकर कई मुहिम भी चलाई जा चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद ये दोहरे मापदंड आज भी जारी हैं. दुनिया के इतिहासकार और बड़े लेखक इसे उसके लिए अपमानजनक मानते हैं क्योंकि, ओलंपिक खेलों में उस पर पहले ये बंदिशें नहीं थीं.
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