NATO, European Union और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं और ये सारे पश्चिमी देश और बड़ी-बड़ी महाशक्तियां, असल में लोकतंत्र और शांति के नाम पर सिर्फ टीवी पर इंटरव्यू दे सकते हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं और सोमिनार कर सकते हैं. ये सारे डिजायनर देश और संस्थाएं, आज यूक्रेन संकट पर खामोश हैं.
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